अब संस्कृत विश्वविद्यालयों को संस्कृत मैनुअल से नैक मान्यता
नई दिल्ली। सरकार ने दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के मकसद से पहला संस्कृत मैनुअल तैयार किया है। इसी संस्कृत मैनुअल के आधार से शैक्षणिक सत्र 2020 में पहले तीन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों, अन्य संस्कृत विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) से मान्यता मिलेगी।
यूजीसी की संस्कृत मैनुअल कमेटी के सदस्य और कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वारकहेडी के मुताबिक, संस्कृत विश्वविद्यालयों को पहली बार संस्कृत मैनुअल के आधार पर नैक की मान्यता मिलेगी। नैक मान्यता के पहले संस्कृत मैनुअल तैयार हो चुके हैं। मोदी सरकार ने संस्कृत को पहचान दिलाने के मकसद से संस्कृत मैनुअल तैयार करवाए गए हैं। इन्हीं मैनुअल के आधार पर नैक टीम विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जांच करके स्कोर देगी।
प्राचीनतम के साथ आधुनिकता की पढ़ाई पर फोकस
प्रो. वारकहेडी केे मुताबिक सामान्य विश्वविद्यालयों की तुलना में संस्कृत विश्वविद्यालयों में अलग ढंग से पढ़ाई होती है। संस्कृत मैनुअल के तहत अब इंटरडिसिप्लनेरी पढ़ाई का रास्ता खुल जाएगा। उदाहरण के तौर महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में भारतीय प्राचीन विधि शास्त्र और प्राचीन वाद शास्त्र प्रोग्राम शुरू किया गया है। इसमें छात्रों को पारंपरिक और आधुनिक पढ़ाई करवाकर निपुण किया जाएगा। इसके अलावा संस्कृत विवि में बीएस योग साइंस, एमएससी योग साइंस व मैनेजमेंट ऑफ भागवत गीता कोर्स भी है। अभी तक इन कोर्स को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोर्स को मान्यता नहीं मिलती थी।
एनआईआरएफ और क्यूएस रैंकिंग की दौड़ में होंगे शामिल
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पांडे के मुताबिक भारत में कुल 18 संस्कृत विश्वविद्यालय हैं। इन्हें डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है। अभी तक संस्कृत विश्वविद्यालय चाहकर भी अन्य विश्वविद्यालयों की तर्ज पर रिसर्च में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के चलते एनआईआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क) रैंकिंग की दौड़ से बाहर हो जाते हैं। पहले संस्कृत मैनुअल के आधार पर नैक की मान्यता मिलने से इनकी रैंकिंग और रिसर्च में बदलाव होगा। इससे इनके नैक स्कोर के साथ रैंकिंग के नंबर में भी सुधार दिखेगा। इसी के तहत संस्कृत विश्वविद्यालय भारत और अंतरराष्ट्रीय क्यूएस रैंकिंग की दौड़ में भी शामिल हो सकेंगे।